स्त्रयों के लिये कुमकुम/सिंदूर के टीका का महत्व
#रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ-
कहना जरुरी हैं कि आज की कुछ आधुनिक बहनों मस्तक में कुमकुम का टीका नहीं, और विवाहिता स्त्रीयों के मस्तक में टीका व फलक में सिंदूर नहीं लगातें....
अविवाहित बहनों को मस्तक में #कुमकुम का टीका लगाना चाहिए व विवाहिता स्त्री को #टीका व #सिंदूर धारण अवश्य करना चाहिए...
स्त्रीयां नित्य पवित्र ही हैं परंतु विवाहिता स्त्री नित्य सिंदूर न धारण करती हो तो उसके किए हुए स्नान से भी वह अशुद्ध रहती हैं...
किसी भी धर्म कार्य करते हुए स्त्रीयों को अपने बाल(केशों) को खूल्ले नहीं रखने चाहिये | मस्तक के मध्य से ही माँग निकालकर विवाहिताओं को सिंदूर चूडा तक धारण करकें बालों को वेणी-सदृश बंधे रखने चाहिये .. चलतें कलियुग में पातिव्रत्य को कलंकित न होने दे.
संस्कृति की रक्षा तो कीजिए औपचारीकता की बाढ़ में हमारे सनातन-धर्म को सदैव याद रखें..
आज के आचार्यों भी इन संस्कृति की स्मृतिभ्रष्टाओं को उचित धर्मकथन नहीं कह रहैं हैं और खूल्ले बालों वाली स्त्रीयों को पूजन आदि का अधिकार देकर पूजादि प्रारंभ करवा देते हैं.
आज पवित्र रक्षाबंधन पर्व पर अधिक बहनों व सुवासिनीयों को बिना टीका व सिंदूर के देखा तो हृदय कंपित हो उठा..
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