ब्राह्मण धर्म
🌼🌼 नमामि गङ्गे 🌼🌼
ज्ञान और अनुभव : यह एक ब्राह्मण का स्वाभाविक धर्म है ।☝️
वेद पर विश्वास : यह भी ब्राह्मण का स्वाभाविक धर्म है । ☝️
तपस्या और आत्मनियन्त्रण : यह भी ब्राह्मण का स्वाभाविक धर्म है । ☝️
अपना स्वाभाविक धर्मपालन करने पर कर्त्ता को विषकीट की भॉति दोष नहीं लगता ।।
सत्य को जानना और बताना : यही ब्राह्मण का लक्षण है ।
सत्य को देना और बताना : यही ब्राह्मण की पहचान है ।
अपने धर्म में मरना भी कल्याणकारक है , दूसरे का धर्म भय देने वाला है ।
यह छः ब्राह्मण के धर्म है -
१.अध्ययन ।
२.अध्यापन ।
३.दान । (दान देना )
४.प्रतिग्रह। (दान लेना )
५.यजन । (यज्ञ करना )
६.याजन । (यज्ञ कराना )
इन छः में से " दान" - ये सबसे कठिन व्रत है । आजकल हर कोई (वर्ण) दान ले रहा है , दान देने में भी विचार नहीं किया जा रहा और अन्ततः सबको लेने के देने पड़े हैं ।।
दान सबको ( हरेक वर्ण को ) नहीं पचता , ब्राह्मण को भी विशेष तप करना पड़ता है , अन्यथा उसे भी अपच हो जाता है । उन्नति और विनाश : दोनों दानसे प्रकट होते हैं , इसलिये #दान -धर्म का पालन बहुत सोच -समझकर करना क्योंकि ये 'दा' धातु छेदने /काटने अर्थ में है , ये दान तीक्ष्ण असि (तलवार) है ।
।। जय श्री राम ।।
★श्री आद्य शंकराचर्य सन्देश
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